Bulb ka Aavishkar Kisne Kiya – एक ब्लब इंसान के जीवन में कितनी अहमियत रखता है यह तो हर कोई जनता होगा, लेकिन आखिर इस बल्ब का अविष्कार किसने किया और जब बल्ब थे ही नहीं और तब से लेकर आज तक बल्ब में क्या क्या अंतर हुआ आखिर एक बल्ब का सफ़र कैसे तय हुआ यदि आज यह बल्ब नहीं होता तो क्या हो सकता था ऐंसे ही बहुत से जानकारी के बारे में हम जानेंगे इस पोस्ट के माध्यम से।
बल्ब का अविष्कार सीधे नहीं हुआ इससे पहले 1802 में सीरिज एंड डेवन ने एक इलेक्ट्रिक लैंप बनाया, यह लैंप बैटरी को विद्युतीकरण करके बनाया गया था, इसके बाद हंफरी डेवीने 1809 में एक आपरेशनल आपरेटस को बनाया जो की कार्बन तार को प्रकाशीय जल के रूप में उपयोग किया जाता था, और यही से एक विजली के बल्ब को बनाने का आधार मिला। तो चलिए जानते है की आखिर इसके बाद bulb ka Avishkar kisne kiya tha ?
Bulb ka Aavishkar Kisne Kiya
अलग अलग जगह पर Bulb ka Aavishkar Kisne Kiya इसके उत्तर आपको अलग मिलेंगे, लेकिन थॉमस एडिसन ने 1879 में एक विद्युतीय बल्ब का अविष्कार किया जिसमे उन्हें बहुत से प्रयोग करने पड़े और इसके बाद उन्होंने एक विद्युतीय फिलामेंट जिसका नाम था लांग कार्बन फाइबर और इसके बाद उन्होंने इसे और भी उपयोगी बनाकर एक कम बजट वाला विद्युतीय बल्ब बना डाला।
Bulb ka Aavishkar Kisne Kiya यदि इस बारे में बात की जाये तो इसका श्रेय थॉमस एडिसन को ही जाता है क्योंकि इन्होने एक ऐंसे बल्ब की खोज की थी तो जो आम तौर पर और कम बजट पर उपयोग किया जा सकता था लेकिन आज जिस बल्ब का उपयोग हम कारते है इसके अविष्कार का श्रेय थॉमस एडिसन को ही जाता है।
यदि बात की जाये की भारत में बल्ब का आविष्कार कब हुआ? तो आपको बता दे की भारत में बल्ब का अविष्कार 21 अक्टूबर 1879 को हुआ था।
बल्ब की खोज कब हुई थी
बल्ब की खोज 1879 में अमेरिकी मूल के थॉमस एडिसन ने किया था वैसे इससे पहले भी इस तरह के प्रकाश देने वाले यंत्रों को तो बनाया था लकिन उनका उपयोग करना एक आम आदमी के लिए बहुत मुश्किल था साथ ही उनका बजट भी आम आदमी के बजट से बहार था लेकिन हाँ उन वैज्ञानिकों का भी बल्ब की खोज में योगदान जरूर रहा।
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बल्ब कैसे जलता है?
एक बल्ब आखिर कैसे जलता है यह भी हम समझ लेते है, यह तो सभी को पता होगा की एक बल्ब को जलाने के लिए बिजली की आवश्यकता तो है, इसके आलावा जब बल्ब से होकर बिजली गुजरती है तो लाइट और हीटिंग उत्पन होगी है यह भी सभी जानते होंगे।
इसके आलावा अगर बात करे बल्ब की तो बल्ब के अन्दर एक फिलामेंट लगा होगा जो की टंगस्टन का होगा है, और जब बिजली इससे होकर गुजरती है तो इसका तापमान बढ़ जाता है, और बल्ब के अन्दर जो तापमान बढ़ता है वह विद्युतीय ऊर्जा में बदल जाता है।
विद्युतीय ऊर्जा उत्पन होने के बाद यह फिलामेंट में उपस्थित माध्यम को गर्म कारती है, जो अक्सर फिलामेंट के आसपास चक्कर लगाता रहता है, जिसके कारण फिलामेंट धीमा रेडिएशन उत्पन करने लगता है, और इससे प्रकाश उत्पन होने लगता है।
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बिजली के बल्ब में कौन सी गैस होती है?
बिजली के बल्ब के अन्दर आर्गन और नाइट्रोजन गैस भरी होती है, बल्ब में आर्गन गैस का उपयोग प्रकाश को स्थाई रूप से बनाये रखने के लिए किया जाता है जबकि नाइट्रोजन गैस फिलामेंट अधिक समय तक चल सके इसलिए उपयोग की जाती है।
यदि बात की जाये LED बल्ब जो की आजकल अधिक उपयोग होते है की तो इस तरह के बल्ब में कोई भी गैस नहीं भरी जाती है क्योंकि इन बल्बों में छोटे डायोड लगे होते है जिनके लिए गैस उपयोगी नहीं होती है और यह बिना गैस के ही प्रकाश को स्थाई बनाये रखते है साथ ही लम्बे समय तक चल सकते है।
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दुनिया का सबसे पुराना बल्ब कौन सा है?
सेंटेनरियन बल्ब (Centennial Bulb) दुनिया का सबसे पुराना बल्ब है जो की सयुंक्त राज्य अमेरिका के 4550 ईस्ट एवेन्यू, लिवरमोर, कैलिफ़ोर्निया में स्थित है, यह बल्ब 1901 से अभी तक लगातार जल रहा है, वैसे तो यह बल्ब 30 वाट का है लेकिन इससे जो प्रकाश निकलता है लेकिन इससे जितना प्रकाश मिलता है वह 4 वाट बल्ब के बराबर है और अभी तक यह सुरक्षित है, वह भी अभी तक बिना रिपेयर किये, यहाँ तक की यह जिस जगह पर है वह एक पर्यटक स्थल बन गया है जहाँ लोग इसे देखने आते है।
वैसे तो आपको पता चल गया होगा की बल्ब का अविष्कार किसने किया लेकिन इस बल्ब का अविष्कार फ्रांसीसी इंजीनियर एडोल्फ चैलेट ने किया था, यह बल्ब कार्बन फिलामेंट पर आधारित है।
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बल्ब हमेशा के लिए क्यों नहीं रहते?
बल्ब के अन्दर एक फिलामेंट होता है जो की प्रकाश उत्पन्न करता है, जब यह प्रकाश उत्पन कर रहा है तो इसका कारण है की यह गर्म भी हो रहा होगा, और समय के साथ साथ यह फिलामेंट कमजोर पड़ने लगता है और टूट जाता है, और इससे बल्ब काम करना बंद कर देता है।
इसके अलावा बल्ब के अन्दर फिलामेंट के रूप में टंगस्टन का उपयोग किया जाता है जो की हल्की से मोवमेंट के साथ ही टूट जाता है।
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बल्ब क्यों फट जाता है?
बल्ब के फटने के वैसे कई कारण हो सकते है लेकिन जो मुख्य कारण हो सकता है वह बल्ब का दबाब अब यह दबाब अन्दर से या बहार दोनों जगह से बल्ब फटने का कारण बन सकता है, क्योंकि कई बार यह हो जाता है की बिजली की लाइन में स्पार्क हो सकता है जिससे बल्ब के अन्दर लेट फिलामेंट का तापमान अधिक बढ़ सकता है और इससे दबाब भी बढ़ने के कारण बल्ब फट सकता है।
बल्ब फटने का कारण बल्ब की बनावट के कारण भी हो सकता है क्योंकि कई बार यह हो सकता है की बल्ब के अन्दर जो तापमान हो वह अधिक हो या फिर बल्ब के निर्माण में कोई कमी हो तो भी बल्ब फटने की समस्या उत्पन हो सकती है।
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वैज्ञानिक भाषा में बल्ब को क्या कहते हैं?
वैज्ञानिक भाषा में बल्ब को “इलेक्ट्रिकल बुल्ब” या “इलेक्ट्रिक लैंप” कहा जाता है।
सबसे अच्छा बल्ब कौन सा है?
समय के साथ साथ बल्ब पर और भी खोजे होने लगी और अलग अलग प्रकार के बल्ब आने लगे, लेकिन यदि सबसे अच्छे बल्ब की बात हो रही है तो हम यह समझ लेते है की आखिर सबसे अच्छा बल्ब आधिर हुआ क्या।
तो जब भी एक बल्ब को देखे तो उसमे बल्ब कितने समय तक चल सकता है, बल्ब कितनी बिजली की खपत करता है, कम से कम बिजली खपत करने के बाद भी बल्ब अधिक से अधिक कितना प्रकाश दे सकता है कुछ ऐंसे बातों को ध्यान में रखकर एक अच्छे बल्ब के बारे में हम पता लगा सकते है।
आजकल हम जिन बल्ब का अधिक उपयोग करते है यह है LED यानि की (Light Emitting Diode) जो की कम विजली खपत, अधिक रोशनी, अधिक समय तक चलने लायक, वातावरण के अनुकूल होती है। led bulb ka avishkar kisne kiya tha इसकी जानकारी के लिए आपको बता दे की LED बल्ब का आविष्कार Nick Holonyak Jr. ने 1962 में किया था।
उम्मीद है की Bulb ka aavishkar kisne kiya के साथ साथ आपको बल्ब से जुडी जानकारी पसंद आई होती यदि फिर भी इस पोस्ट में कोई जानकारी रह गयी हो या आपका कोई प्रश्न हो तो आप हमें कमेंट के माध्यम से लिख भेजें।