स्टीफेन हाकिंग की जीवनी – प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक, लेखक स्टीफेन हाकिंग को सम्मनित करने के लिए गूगल ने आज उनका गूगल डूडल लगाया है। ब्लैक होल, बिग बैंग सिद्धांत को समझाने में इनकी अहम योगदान रहा है। 1998 में प्रकाशित स्टीफेन हाकिंग की किताब “अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” ब्रह्मांड के रहस्यों पर आधारित है, उस समय में उनकी इस किताब का सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब का रिकॉर्ड दर्ज था।
उनके दिमाग को छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता था, यहाँ तक की डॉक्टर के उनकी इस बिमारी को देखकर यह कहा था की वह केवल 2 साल के मेहमान है लेकिन उन्होंने अपनी मौत को भी मात दे दिया, और लगभग 50 से भी ज्यादा साल जिए।
स्टीफेन हाकिंग की जीवनी इन हिंदी, स्टीफन हॉकिंग को कौन सी बीमारी थी, स्टीफन हॉकिंग की मृत्यु कैसे हुई यह सब जानकारी आपको आगे दी जाने वाली है।
स्टीफेन हाकिंग की जीवनी
8 जनवरी 1942 को ऑक्सफ़ोर्ड यूनाइटेड किंगडम में जन्मे स्टीफेन हाकिंग का जन्म फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के घर में हुआ था। इनके पिता फ्रेंक ने ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय से आयुर्विज्ञान की शिक्षा ली थी जबकि इनकी माता ने इसी विश्वविद्यालय से राजनीती, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी।
स्टेफेन हॉकिंग और इनके माता पिता के आलावा इनके परिवार में इनके दो बहिने फिलीपा और मैरी और एक गोद लिया भाई एडवर्ड फ्रैंक डेविड था।
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ग्यारह वर्ष की उम्र में स्टेफेन स्कूल गए, शुरू शुरू में स्टीफेन हाकिंग अपनी कक्षा में औसत अंक लेन वाले छात्र थे, लेकिन समय के साथ साथ वह अपनी कक्षा में अवल आने लगे इसके आलावा गणित में उनकी रूचि थी। ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में गणित विषय नहीं था इसलिए उन्हें भौतिक विज्ञान की पढाई के लिए दखिला लिया।
तीन सालों में प्रकृति विज्ञान में प्रथम श्रेणी में ओनर्स की डिग्री लेने के बाद अन्तरिक्ष विज्ञान में वह खास रूचि लेने लगे। ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय में अन्तरिक्ष विज्ञान पर कोई भी शोध नहीं कर रहा था जिस कारण वह अन्तरिक्ष विज्ञान पर शोध करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए। और मात्र 20 वर्ष की उम्र में उनका चयन कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय में शोध के लिए हुआ।
अन्तरिक्ष विज्ञान में उन्होंने पीएचडी भी की और एक बडी कामयाबी हाशिल की, पीएचडी करने के बाद वह जॉनविले और क्यूस कॉलेज के पहले रिसर्च फैलो और बाद में प्रोफेसनल फैलो बने।
21 वर्ष की आयु में जब वह अपने घर पर छुट्टियों पर आये हुए थे थे तो तभी उन्हें सीढियों से उतारते वक्त चक्कर आया, और वह सीढियों से निचे गिर गए, जब उन्हें डॉक्टर के पास ले गए तो उस समय कमजोरी का नाम देकर इस परिस्तिथि से निपटा गया लेकिन फिर उन्हें बार बार चक्कर आने लगे और जब उन्हें अच्छे डॉक्टर को दिखाया गया तो तब पता चला की उन्हें एक ऐंसी बिमारी है जो कभी ठीक नहीं हो सकती जिसका नाम था मोर्टार न्यूरॉन।
न्यूरॉन मोर्टार डीसीस जो की एक ऐंसी बिमारी थी जिसमे धीरे धीरे शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर देते है और बाद में मरीज की मृत्यु भी हो जाती है। इस बिमारी को लेकर उस समय डॉक्टरों ने यह तक कह दिया था की अब स्टीफेन हाकिंग केवल 2 साल के मेहमान है, तब स्टीफेन हाकिंग ने यह कह दिया था की मैं दो नहीं बल्कि पुरे 40 साल तक जियूँगा, और सभी ने उन्हें दिलासा देने के लिए हाँ भर दी, लेकिन आज सभी जानते है की उन्होंने अपने इच्छा सकती से यह कर दिखाया।
पीएचडी पूरी करने और उनका विवाह होने तक उनका शरीर दाहिने ओर से आधा काम करना बंद कर दिया था और वह चलने के लिए स्टिक का सहारा लेने लगे थे, इसके बाबजूद भी वह अपने काम को खुद करना ही पसंद करते थे।
1974 में डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद उन्होंने आपेक्षिता का सिद्धांत और पुंज सिद्धांत पर काम करना शुरू किया और उन्होंने इन दोनों सिधान्तो को मिलकर महाएकीकृत सिद्धांत बनाया और उनके इस सिधान्त से उन्हें दुनियाभर में एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक के रूप में पहचान मिली। (स्टीफेन हाकिंग की जीवनी )
14 मार्च 2018 को 76 वर्ष की आयु में इस महान वैज्ञानिक ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया, इनकी मृत्यु कैम्ब्रिज, यूनाइटेड किंगडम इनके निवास स्थान पर हुई
स्टीफेन हॉकिंग कैसे बात कर पाते थे
स्टीफेन हाकिंग एक ऐंसी बीमारी से ग्रस्त थे जिससे उनका पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था लेकिन उनका दिमाग काम कर रहा था, वह कैसे अपने बिचार लोगो के सामने रखे इसके लिए उनके लिए एक मशीन बनाई गए जो थी कंप्यूटर स्पीच सिंथेसाइजर, जो की उनकी व्हील चेयर के साथ जुड़ा था।
1980 से उन्होंने बनी गयी कस्टम इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर का इस्तेमाल किया इसके बाद इसमें बहुत सी तकनीक को भी जोड़ा गया जिसके बाद वह इसकी मदद से दुनिया के साथ बाते कर सकते है और अपने काम भी कर पाते थे, यह मशीन उनके जबड़े की हरकत से और उनके इशारे को आवाज में बदलती थी।
उनके चश्मे के साथ इंफ्रारेड ब्लिंक स्विच जुड़ा था जो की उनके चश्मे में लगया था जिससे उनकी आँखों की हरकत से जो भी वह कहते थे मशीन पढ़कर उसे डिस्प्ले बोर्ड पर लिख देती थी, ई-जेड सेंसर उनके जबड़े की गतिविधियों का पता लगा लेते थे।
स्टीफेन हाकिंग की मृत्यु कैसे हुई
स्टेफेन हॉकिंग मोर्टार न्यूरॉन बीमारी से ग्रसित थे, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था और इससे शरीर के सभी अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है स्टीफेन हाकिंग के दिमाग को छोड़कर उनका पूरा शरीर काम करना बंद कर दिया था और उनकी मृत्यु का कारण भी यही बीमारी थी।
स्टीफन हॉकिंग भारत कब आए थे
2001 में स्टीफेन हाकिंग भारत आये थे, तब उन्होंने यहाँ 16 दिन का दौरा किया था, उन्होंने इस भारत यात्रा को शानदार बताया और और भारतीयों के गणित और भौतिकी ज्ञान की तारीफ भी थी, इस भारतीय दौरे में उन्होंने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में पांच दिन तक चले इंटरनेशनल फिजिक्स सेमिनार में कई व्याख्यान दिए।
मुम्बई के ओबराय टॉवर्स होटल में स्टीफन हॉकिंग का 59वां जन्म दिन मनाया गया था, इसके बाद वह दिल्ली भी गए और वहां राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के.आर.नारायण से भी मुलाकात की, साथ ही दिल्ली में उन्होंने कुतुबमीनार और जन्तर मंतर का भी दौरा किया और 15 जनवरी 2001 में दिल्ली में अल्बर्ट आइंस्टीन मेमोरियल लेक्चर दिया।
स्टीफेन हाकिंग बुक्स
स्टीफेन हाकिंग ने अपने बहुत सी किताबे भी लिखी जिनमे से ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम (1988) को 237 सप्ताह तक बेस्ट सेलर रहने के कारण गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया किया इस बुक का 40 अलग अलग भाषाओ में अनुबाद हुआ और इसकी 1 करोड़ प्रति बिकी।
इसके आलावा इनकी अन्य बुक ब्लैक होल्स एंड बेबी यूनिवर्स, द इलस्ट्रेटेड अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम, ब्रीफ आंसरस तो थे बिग क्वेश्चन, थे ग्रैंड डिजाईन, थे थ्योरी ऑफ़ एव्रीथिंग: द ओरिजिन एंड फाटे ऑफ़ थे यूनिवर्स, थे यूनिवर्स इन अ नुटशैल, अ ब्रिएफेर हिस्ट्री ऑफ़ टाइम भी प्रमुख थी। (स्टीफेन हाकिंग की जीवनी)
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