महात्मा गांधी जी ने देश के लिए क्या किया?

Mahatma Gandhi Biography in Hindi : जब भी सत्य, अहिंसा की बात आती है तो महात्मा गाँधीजी जी की याद आ जाती है क्योंकि उनका मानना था की सत्य की हमेशा जीत होती है और अपने विरोधियों को हमेशा प्रेम और अहिंसा से जीते इसी विचारधारा पर चलते हुए उन्होंने देश की आजादी में हिस्सा लिया।

महात्मा गाँधी जी ने ना केवल देश को आजाद करने में अपना बलिदान दिया बल्कि देशवाशियों को आजादी के लिए भी प्रोत्साहित किया।

mahatma-gandhi-biography-in-Hindi

महात्मा गाँधी की जीवनी – Mahatma Gandhi Biography In Hindi

महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और महात्मा गांधी की माँ का नाम पुतलीबाई गांधी था इनके पिता एक दीवान थे और माँ गृहणी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही पूरी हुई, 1881 में इन्होने हाई स्कूल की परीक्षा पास की।

1883 को मात्र 14 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा से हुआ सादी के पशचात इनकी 4 संताने हुई जिनका नाम हीरालाल गाँधी, मणिलाल गाँधी, रामदास गाँधी और देवदास गाँधी था।

सन 1887 में इन्होने मट्रिक की परीक्षा राजकोट से उतीर्ण की. 1888 में इन्होने भावनगर स्थित शामलदास आर्ट कॉलेज में दाखिला लिया था और यहाँ से डिग्री लेने के बाद वे पढाई के लिए लन्दन चले गए, लन्दन में इन्होने युनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन से वकालत की पढाई की और सन 1891 में वेरिस्टर बनकर भारत वापस लौटे।

भारत लौटने के बाद उन्हें अपने माँ के देहांत की सुचना मिली, इसके बाद गाँधी जी ने वकालत के लिए बाम्बे गए लेकिन उन्हें वापस राजकोट आना पड़ा और यहाँ वे जरूरत मंदों की मदद किया करते थे। (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

दक्षिण अफ्रीका यात्रा-

सन 1994 में महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) भारतीय व्यापारिक के न्यायिक सलाहकार के तौर पर दक्षिण अफ्रीका गए इस समय इनकी उम्र 24 साल थी यहाँ गाँधी जी को नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा।

एक बार की बात है जब गाँधी जी के पास प्रथम श्रेणी की वैध टिकट होने के वावजूद भी उन्हें तीसरी श्रेणी में सफ़र करने को कहा गया लेकिन गाँधी जी के माना करने के बाद उन्हें ट्रेन से बहार निकाल दिया गया जबकि इनके बाद टिकट भी था और इन्हें ट्रेन से बहार निकले जाने का कारण इनका अश्वेत होना था।

इसके आलावा महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के साथ एक दूसरी घटना भी घटी जब उन्ही अदालत में पगड़ी उत्तारने के लिए कहा गया लेकिन गाँधी जी ने यह बात नहीं मानी।

अवज्ञा आदोलन

सन 1994 दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय और रंगभेद अत्याचारों की खिलाप गाँधी जी भारतीय प्रवासियों के साथ मिलकर बिट्रिश सरकार के समुख आवाज उठाई। गाँधी जी ने भारतीयों के साथ मिलकर “नटाल भारतीय कांग्रेस” की स्थापना की।

भारतीयों पर हो रहे अत्यचार के खिलाप सन 1906 में गाँधी जी ने “अवज्ञा आन्दोलन” की शुरुआत की और यह सफल हुआ।दक्षिण अफ्रीका की अपनी यात्रा में अनेक कठिनाईयों को झेलने के बाद सन 1914 को गाँधी जी 20 साल बाद भारत वापस लौटे।

भारत में अंग्रेजो के अत्याचारों के चलते जनता की दशा को देखकर गाँधी जी अंग्रेजो के खिलाप जंग लड़ने का फैसला लिया और स्वतंत्रता सग्राम में भाग लिया।

चंपारण और खेडा आन्दोलन

सन 1918 में बिहार के चंपारण में किसानो पर हो रहे अंग्रेजो के अत्याचारों के चलते गाँधी जी ने भारत में अपना पहला आन्दोलन चलाया था। अंग्रेज सरकार किसानो को नील की खेती करने और इसे निश्चित कीमत पर बेचने के लिए जोर डाल रही थी जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे। जिससे किसानो की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी तब एक किसान नेता राजकुमार ने महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) को चम्पारण आने के लिए प्रेरित किया था।

गाँधी जी ने किसानो की मदद के लिए अहिंसा अपनाकर आदोलन किया जिससे चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा लेकिन गाँधी जी के साथ किसानो का समर्थन होने के कारण बिट्रिश सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा और इसके बाद सरकार को गांधीजी की शर्तों को मानना पड़ा।

गुजरात के खेडा गावं में बिट्रिश सरकार ने किसानो पर टेक्स लगाया था जिसे किसान भरने में अक्षम थे जिसके चलते उन्होंने भी गाँधीजी से सहायता मांगी। इस पर गांधीजी किए द्वारा बिट्रिश सरकार के लगाये गए टेक्स से किसानो को छुट दिलाने के लिए आन्दोलन चलाया जिसे जिसे “कर नहीं आन्दोलन” नाम दिया गया और सन 1918 में बिट्रिश सरकार को किसानो पर लगाये टेक्स में राहत दी और यही वह आदोलन था जिससे गाँधी जी को महात्मा और बापू पिता कहा जाने लगा।

खिलापत आन्दोलन (1919-1924)

सन 1919 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ओटोमन साम्राज्य पराजित हो गया था जिससे मुसलमान अपने धर्म और धार्मिक स्थल को लेकर चिंता में थे। मुसलमानों के द्वारा खलीपा पद की दुबारा स्थापना करने के लिए चलाये जा रहे खिलापत आन्दोलन में महात्मा गाँधी  ने भाग लिया।

इस आन्दोलन से गाँधी जी ने हिन्दू और मुसलमानों में बिच एकता बनाये रखने का भी प्रयाश किया। इस आन्दोलन का नृतत्व “आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस” के द्वारा किया जा रहा था जिसके गाँधी जी प्रमुख सदस्य थे।

असहयोग आन्दोलन (1919-1920)

रोलेट एक्ट के खिलाप महात्मा गाँधीजी ने बहुत सी सभाओ का आयोजन किया इन्ही सभाओ में से पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में की जाने वाली सभा भी एक थी, इस शांति सभा को अंगेजो ने भंग करने के लिए निहते लोगो पर गोलियां चलवाई, जिससे बहुत से लोग मारे गए और घायल भी हुए।

इस घटना से गाँधी जी को बहुत बुरा लगा. इस घटना के विरुद्ध गांधीजी ने शांति और अहिंसा से आन्दोलन करने का निर्णय लिया जिसके तहत उन्होंने भारतियों से अंग्रोजो की मदद ना करने, सरकारी कॉलेज, विदेशी सामान का बहिष्कार करने का आवाहन किया जिससे असहयोग आन्दोलन में जान आने लगी।

चोरी-चोरा काण्ड :

असहयोग आन्दोलन के दौरान 5 फरवरी को उतर प्रदेश के चोरी चोरा गावं में कांग्रेस के निकले गए जुलुस को रोकने के लिए पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए गोली चली जिसमे कुछ लोगो की मौत होने से भीड़ आगबबुला हो गई और भीड़ ने थाने में 21 सिपाहियों को बंद कर थाने के आग लगा दी जिससे सभी लोगो की मौत हो गई।

इस घटना में हिंसा होने से गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त कर दिया।इसके बाद बिट्रिश सरकार के द्वारा गाँधी जी पर राजद्रोह का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया गया जिसमे गाँधी जी को 6 साल की सजा सुनाई गयी लेकिन इस बीच गाँधी की का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930) :

अंगेजो के अत्यचार के खिलाप गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया जिसका उदेश्य बिट्रिश सरकार के द्वारा बनाये गए नियमो को नहीं मानना और इन्हें तोडना था, इसी दौरान गाँधी जी ने अंग्रेजो के नमक ना बनाये जाने के कानून को तोडा।

इस घटना को दांडी मार्च से भी जाना जाता है।12 मार्च 1930 को गाँधी जी ने साबरमती आश्रम अहमदाबाद गुजरात से इस दांडी यात्रा को शुरू किया और यह यात्रा गुजरात के दांडी नामक स्थान तक चली इस यात्रा में गांधीजी ने 24 दिनों में 322 कि.मी. की यात्रा को पूरा किया. इस यात्रा में हजारो भारतियों ने हिस्सा लिया था। यहाँ पर गाँधीजी ने अंग्रेजो के द्वारा बनाये गए नमक ना बनाने के कानून को तोड़कर नमक बनाया।

भारत छोड़ो आन्दोलन (1942) :

अंग्रेजो के शासन से प्रत्येक भारतीय आजाद होना चाहता था इसलिए भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान लोगो में आजादी के लिए एक उत्साह बनता जा रहा था. इस आन्दोलन में बहुत हिसां और बहुत से लोगो को गिरफ्तार भी किया गया, महात्मा गाँधीजी  ने पहले ही कह दिया था की यह आन्दोलन तब तक चलेगा जब तक अंग्रेजो के शासन से भारत आजाद नहीं हो जाता।

भारत छोड़ो आन्दोलन सभी आन्दोलन से बहुत अधिक प्रभावी रहा और इससे अंग्रेज सरकार को यह लगने लगा था की अब भारत में शासन नहीं किया जा सकता है. द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक अंग्रेजो ने भारत पर शासन सता का अधिकार भारतीयों को सौपने का निर्णय ले लिया था और पूर्ण रूप से 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिली।

महात्मा गांधीजी की मृत्यु (Mahatma Gandhi’s Death)

देश को आजाद हुए ज्यादा समय भी नहीं हुआ था की 30 जनवरी 1948 को बिरला हॉउस में प्राथना सभा को सम्भोधित करने के लिए जाते समय गाँधी जी को एक हिन्दू राष्ट्रीयवादी “नाथूराम गोडसे” ने उनके सिने में 3 गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

महात्मा गाँधीजी (Mahatma Gandhi) के अंतिम शब्द थे “हे राम“. मृत्यु के पशचात दिल्ली स्थित “राजघाट” में उनकी समाधी बनाई गयी. गांधीजी की हत्या करने के अपराध में नाथूराम गोडसे को 1949 में मौत की सजा सुनाई गयी। (Mahatma Gandhi Biography in Hindi)

महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम

सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का सन्देश देने वाले महात्मा गाँधी जी ने अपने जीवन काल में कई पुस्तकें भी लिखी, जिनमे से यह सब प्रमुख थी –

  • एक आत्मकथा – सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी
  • मेरे सपनों का भारत
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह”
  • ग्राम स्वराज
  • सच्चाई भगवान है
  • प्रकृति इलाज
  • पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार
  • कानून और वकील
  • गीता का संदेश
  • सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता
  • गीता बोध

महात्मा गाँधीजी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

  • 1915 को अंग्रेज सरकार के द्वारा गांधीजी को “केसर-ए-हिन्द” की उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • महात्मा गाँधी के राजनितिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
  • महात्मा गाँधी को सबसे पहले महात्मा नाम से रविन्द्र नाथ टैगोर ने संबोधित किया था। जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार सन 1915 में राजवैध जीवन राम कालिदास ने महात्मा कहकर संबोधित किया था।
  • गांधीजी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लोगो को सेना में भर्ती होने के लिए प्रोत्साहित किया था जिससे लोग उन्हें “भर्ती करने वाला सार्जेंट” कहने लगे।
  • 1916 को गांधीजी जी ने अमहदाबाद में “साबरमती आश्रम” की स्थापना की थी।
  • गांधीजी को चंपारण आने के लिए एक किसान नेता “राजकुमार” ने प्रेरित किया था।
  • गांधीजी के द्वारा सत्याग्रह का सर्वप्रथम प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में किया गया भारत में गाँधी जी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 को चम्पारण बिहार में किया।
  • गांधीजी ने 1918 में गुजरात के खेडा जिले में “कर नहीं आन्दोलन” चलाया।
  • महात्मा गाँधीजी (Mahatma Gandhi) ने पहली भूख हड़ताल 1918 में अहमदाबाद में मिल मजदूरों की हड़ताल के समर्थन में की।
  •  महात्मा गांधीजी सिर्फ एक बार 1924 को कांग्रेस के बेलगावं अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए।
  • सुभाष चन्द्र बोष ने गांधीजी की नमक सत्याग्रह की तुलना नेपोलियन की एल्बा से पेरिस यात्रा से की।
  • सविनय अविज्ञा आन्दोलन में पठान सत्याग्रहीयों पर बिट्रिश सरकार के दिए गए गोली चलाने के आदेश  को गढ़वाल रायफल के जवानों ने माना कर दिया।
  • 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुआत हुई इसी आन्दोलन के दौरान गाँधीजी ने “करो या मरो” का नारा दिया था।
  • महात्मा गाँधीजी (Mahatma Gandhi) ने सन 1925 और 1930 को दो बार कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र दिया था।
  • महात्मा गांधी किस धर्म के थे अक्सर लोग इस प्रश्न का उत्तर भी जानना चाहते है तो आपको बतादे की महात्मा गांधी जाति धर्म सत्य को ही मानते थे।
महात्मा गांधी की आत्मकथा का क्या नाम है?
महात्मा गांधी जी के द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘सत्य के प्रयोग’ ही उनकी आत्मकथा है, यह पुस्तक उन्होंने गुजरती भाषा में लिखी थी,

About Anoop Bhatt

मेरा नाम अनूप भट्ट है और मैं उत्तराखंड (India) से हूँ। इस ब्लॉग पर आपको Blogging, Internet, Website, Technology के आलावा भी अन्य उपयोगी ज्ञान हिंदी में दिया जाता है। अधिक जानने के लिए आप About Us देखे।

4 thoughts on “महात्मा गांधी जी ने देश के लिए क्या किया?”

Leave a Comment