कछुआ और खरगोश की कहानी हिंदी में -Turtle and Rabbit Story in Hindi

Kachhua Aur Khargosh Ki Khani In Hindi – आज की हमारी कहानी है कछुआ और खरगोश की जो मनोरंजन के आलावा हमें एक सिख भी देती है तो चलिए जानते है इस कहानी के बारे में और इससे हमें क्या सिख मिलती है के बारे में।

kachhua aur khargosh ki kahani

Kachhua Aur Khargosh Ki Khani In Hindi , कछुआ खरगोश की दौड़

यह कहानी एक खरगोश और कछुए की है। एक जंगल में एक कछुआ और एक खरगोश रहता था। खरगोश को अपने तेज दौड़ने पर बहुत घमंड था और वह हमेशा कछुए का मजाक उड़ाया करता था। एक दिन खरगोश ने कछुए को दौड़ लगाने को कहा। खरगोश यह जानता था की कछुआ उससे नहीं जीत सकता, और यह बात कछुए को भी पता थी फिर भी कछुए ने दौड़ के लिए हाँ कर दी।

कछुआ और खरगोश की दौड़ को देखने के लिए सभी जानवर एकत्रित हो गए। कछुआ और खरगोश के बिच एक चट्टान तक दौड़ लगाने का फैसला हुआ, साथ ही जितने वाले को ईमान मिलने की भी बात हुई।

खरगोश को तो पूरा घमंड था की वही जीतेगा, साथ ही कछुआ भी हार नहीं मानने वाला था, इसी बिच दोनों के बिच दौड़ शुरू हुई, खरगोश बहुत तेजी से दौड़ने लगा, साथ ही कछुआ भी अपनी चाल से दौड़ने लगा। कुछ समय बाद खरगोश कछुए से बहुत आगे चला गया था, और खरगोश थक भी गया था।

खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे कछुआ कही दूर दूर तक नहीं दिखाई दिया, तो खरगोश ने सोचा की जब तक कछुआ आता है क्यों न तब तक आराम किया जाये, और वह एक पेड़ की छाव के निचे आराम करने लगा। आराम करते करते खरगोश को नीद आ गयी और वह सो गया।

इसी बिच कछुआ भी अपनी पूरी कोशिश कर चलता रहा और एक समय वह उस जगह तक पहुँच गया जहाँ खरगोश आराम कर रहा था, लेकिन वह चलता रहा और वह उस जगह तक पहुँच गया जहाँ पर कछुआ और खरगोश की दौड़ पूरी होनी थी, इसके बाद खरगोश की आँख खुली तो खरगोश ने सोचा आराम कर लिया है अब मुझे दौड़ना चाहिए।

कुछ समय बाद खरगोश भी उसी जगह पर पहुँच गया जहाँ दौड़ पूरी होनी थी और पहुंचते ही वह देखता है की कछुआ वहां पहले ही पहुँच चुका है, और इस तरह कछुआ इस दौड़ को जीत गया और इनाम का हक़दार बना, साथ ही खरगोश कछुए का जो भी मजाक उड़ाया करता था उसके लिए मांफी भी मांगी।

सिख –

खरगोश और कछुए की कहानी ( Kachhua Aur Khargosh Ki Khani In Hindi ) से हमें यह सीखना को मिलता है की कभी भी हमें अपनी किसी बात को लेकर घमंड नहीं करना चाहिए, और न ही किसी दुसरे को कम समझाना चाहिए, साथ ही कछुए की तरह हमें भी कभी किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।

 

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