भारत का पहला सुपर कंप्यूटर / India’s First Super Computer in Hindi : नमस्कार दोस्तों आज की यह पोस्ट आपको भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 की जानकारी देने वाली है की आखिर भारत ने इस कंप्यूटर का निर्माण क्यों किया था और इसकी क्या वजह रही थी की भारत को इस कंप्यूटर का निर्माण खुद करना पड़ा।
दोस्तों वैसे तो भारत में कंप्यूटर की शुरुआत 1952 से हो गयी थी और 1952 में ही भारत के कोलकाता में भारतीय विज्ञान संस्थान में पहला कंप्यूटर लगाया गया था, लेकिन भारत को जरूरत थी एक सुपर कंप्यूटर की जो साधारण कंप्यूटर की तुलना में कई गुना अधिक काम कर सकता था।
यदि सुपर कंप्यूटर की बात की जाये तो भारत से पहले अमेरिका ने पहला सुपर कंप्यूटर बनाया था जिसका नाम था Cray-1 और यह 1976 में Cray कम्पनी के द्वारा बनाया गया था। दुनिया का पहला सुपरकंप्यूटर इतना शक्तिशाली था की यह 64 साधारण कंप्यूटर के बराबर का काम अकेले कर सकता है।
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर / India’s First Super Computer in Hindi
कंप्यूटर की शुरुआत से ही अमेरिका इसमें आगे रहा है मतलब कंप्यूटर का अविष्कार भी अमेरिका ने ही किया था और अमेरिका की ही एक कम्पनी cray ही पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा सुपर कंप्यूटर बनाने वाली कम्पनी थी। यदि दुनिया के सभी टॉप सुपर कंप्यूटर की बात की जाये तो cray कम्पनी के ही सबसे ज्यादा सुपर कंप्यूटर थे।
1980 में भारत भी cray कम्पनी के साथ सुपर कंप्यूटर खरीदने की योजना बना रहा था लेकिन अमेरिका यह नहीं चाहता था की cray कम्पनी भारत को यह कंप्यूटर बेचे। इसका कारण यह था की अमेरिका भी जानता था की सुपर कंप्यूटर में इतनी पॉवर होती है की इससे परमाणु हथियार या उपग्रह को भी विकसित किया जा सकता था।
इसके आलावा अमेरिका यह भी नहीं चाहता था की भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमारी बराबरी करे, इस वजह से भारत और सुपर कंप्यूटर निर्माता कम्पनी cray के बिच होने वाले इस समझौते को अमेरिका ने नहीं होने दिया, और अब भारत के पास एक ही रास्ता था खुद का सुपर कंप्यूटर बनाने का।
भारत में सुपर कंप्यूटर परम 8000 का निर्माण
भारत को सुपर कंप्यूटर की जरूरत थी क्योंकि यही वह समय था जब भारत अन्तरिक्ष में अपने सेटेलाइट स्थापित कर चुका था लेकिन सेटेलाइट से जुड़े डेटा जैसे मौसम की जानकारी के लिए होने वाली बड़ी बड़ी गणनाएं, या इसी तरह के अलग अलग क्षेत्रों की बड़ी गणनाओं के लिए भारत को सुपर कंप्यूटर की जरूरत थी जो भारत की डाटा गणना की समस्या को हल सर सकता था।
अमेरिका के सुपर कंप्यूटर नहीं देने के बाद भारत ने खुद का सुपर कंप्यूटर बनाने की सोची और 1988 में भारत ने खुद का एक सुपर कंप्यूटर बनाने का काम शुरू किया। इसके लिए भारत सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिकस और इसके डायरेक्टर डॉ विजय भाटकर के साथ मिलकर पुणे में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) की स्थापना की।
C-DAC को सुपर कंप्यूटर के निर्माण करने के लिए 3 साल और इसके साथ 30 करोड़ का वजट दिया गया और यह समय और वजट उतना ही था जितना भारत को अमेरिका से सुपर कंप्यूटर खरीदने में लगने वाला था।
C-DAC में कार्यरत वैज्ञानिको ने कठिन मेहनत से 1990 तक इस प्रोजेक्ट का प्रोटोटाइप मॉडल बना लिया था, और 1 जुलाई 1991 को भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000 का निर्माण कार्य पूरा कर इसे लांच कर दिया गया। इस कंप्यूटर को परम नाम संस्कृत भाषा के परम शब्द से दिया गया जिसका हिंदी में अर्थ था “सर्वोच्च”।
सुपर कंप्यूटिंग शो में जब परम 8000 का प्रदर्शन किया गया था तो सभी देशो को पीछे करने के बाद भारत अमेरिका के बाद शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर बनाने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया था, इसके बाद भारत ने ही इस सुपर कंप्यूटर को रूस, जर्मनी को भी दिया।
परम 8000 सुपर कंप्यूटर की विशेषता
जब भारत ने परम 8000 का निर्माण केवल 30 करोड़ रूपये की लागत से किया तो, अमेरिकी की सुपर कंप्यूटर निर्माता कम्पनी Cray को भी अपने सुपर कंप्यूटर की कीमत को कम करना पड़ा गया था।
परम 8000 पूरी दुनिया में इतना प्रसिद्ध हो गया था की दुनिया में बहुत से देश बिल्कुल परम 8000 के जैसा सुपर कंप्यूटर बनाना चाहते थे यहाँ तक की भारत की मदद से रूस ने परम जैसा ही एक कंप्यूटर 1991 में मॉस्को को स्थापित किया. परम 8000 मेगा फ्लॉप्स की स्पीड से काम कर सकता था।
परम 8000 सुपर कंप्यूटर की विशेषता यह थी की यह सुपर कंप्यूटर में 60 processor का उपयोग किया गया था . परम 8000 में इन्मोस T800 ट्रांसपुटर्स का उपयोग किया गया था जो एक तरह से नया और बेहतरीन मिक्रोप्रोससर आर्किटेक्चर था. यह कंप्यूटर कुछ ही सेकंडो में लाखो करोडो गणनाए कर सकता था।
वर्तमान समय में परम की कहानी
परम 8000 की सफलता की बाद सरकार ने परम सुपर कंप्यूटर को समय समय पर अपडेट करने का विचार किया और इसके पीढ़ी दर पीढ़ी चलते नयी नयी टेक्नोलॉजी को उपयोग में लाते हुए C-DAC और IIT BHU की सहयता से 19 फरवरी 2019 को ही “परम शिवाय” सुपर कंप्यूटर को स्थापित किया गया है जिसका उपयोग स्वास्थ्य सुविधा, सिचाई योजनाओं, यातायात प्रबंधन आदि क्षेत्रों में किया जा रहा है।
परम शिवाय का निर्माण 32 करोड़ की लागत से किया गया है, जिसकी कार्य करने की स्पीड 833 टेरा फ्लॉप्स तक है, परम शिवाय में 1 पेटा बाइट सेकेंडरी स्टोरेज, 233 प्रोसेसर नोड, पैरेलल फाइल सिस्टम इत्यादि हैं। इसका निर्माण सी-डैक और फ़्रांसीसी सुपर कंप्यूटर र्निमंता कम्पनी Atos के बिच हुए तीन साल के समझौते के आधार पर हुआ है।
उम्मीद है की भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम 8000 से सम्बंधित जानकारी आपको अच्छी लगी होगी, इस जानकारी से सम्बंधित किसी भी सवाल के लिए आप कमेंट कर सकते है, इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।